प्रणाम सुन्दरसाथ जी -
सिर्फ नाम से नहीं काम से सुन्दरसाथ बनो , परमधाम जाना है अपने निजघर जाना है तो वही का सिंगार करना पड़ेगा , छमा , संतोष , दया , प्रेम, विन्रमता का सिंगार। ये सिंगार करके जायेगे, तभी राज जी अपने गले लगाएंगे।
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